क्या दिल में छेद वाले बच्चे सामान्य जीवन जी सकते है
November 8, 2024 | Contributed by Rahul Ray
जिस भी बच्चे को दिल में छेद होता है उनको धीरे-धीरे जीवन जीने में दिक्कत आने लगती है। दिल में कितना बड़ा होल है, उस होल के ऊपर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चे को जीवन जीने में कितना तकलीफ हो सकता है। सही शब्दों में बोले तो एक सामान्य जीवन जीने में बच्चों को बहुत ज्यादा तकलीफ होती है, क्योंकि जिस भी बच्चे के दिल में छेद होता है उनका शारीरिक ग्रोथ अच्छे से नहीं हो पाता। जिसके वजह से बच्चे को बार-बार सर्दी जुखाम, बुखार, सांस लेने में तकलीफ होना, वजह न बढ़ना, भूख कम लगना, ज्यादा पसीना आना, निमोनिया, चलते और दौड़ते वक्त सांस फूलना इत्यादि जैसे समस्या होने लगती है। जन्म के बाद अगर बच्चे के दिल में छोटा छेद होता है तो डॉक्टर के परामर्श से उस दिल के छेद को ठीक किया जा सकता है। कभी-कभी जन्म के बाद और बढ़ती उम्र के साथ दिल में जो छेद होता है वो अपने आप ठीक हो जाता है।
दिल में छेद कैसे होता है
दिल में छेद कैसे हो जाता है इस बात का अभी तक कोई पक्का परिमाण नहीं मिला है। लेकिन मेडिकल वैज्ञानिक के अनुसार जब बच्चा गर्भाशय में होता है तो किसी कारण वस बच्चे का हृदय ठीक से नहीं बन पाता और बच्चे को वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट हो जाता है। जिस भी बच्चे को वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट होता है उन बच्चों को जन्मजात हृदय दोष कहते है। बच्चे को जन्मजात हृदय दोष होने के कुछ कारक भी होते है जैसे कि माता पिता का जीवनचर्या, शराब, धूम्रपान, कोइ जेनेटिक समस्या, मधुमेह, प्रेगनेंट के दौरान डॉक्टर के बिना परामर्श के दवाई खाना। इस सभी के वजह से भी बच्चे का दिल अच्छे से नहीं बन पाता। जिसके चलते बच्चे के दिल में छेद हो जाता है।
न्यू बोर्न बेबी हार्ट
जब बच्चा गर्भ में होता है और उसके हृदय का विकास होता है तो उसके हार्ट में 4 चैंबर्स होते है, जो सेप्टल से एक दूसरे से जुड़े होते है।
चैंबर क्या होता है और सेप्टल क्या होता है आइए समझते है –
हार्ट में चार चैंबर्स होते है – उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपके पास 1 घर है और उसमें 4 कमरे है। 2 कमरे ऊपर और 2 कमरे नीचे। उसी तरह दिल में 4 कमरे होते है। ऊपर वाले कमरे को आर्ट्रियम (आलिंद) कहते है और नीचे वाले कमरे को वेंट्रिकल (निलय) कहते है। जिस तरह से घर को मजबूत और एक दूसरे से जोड़ने के लिए पिलर का इस्तेमाल करते है। उसी तरह हृदय के चारों कमरे को जोड़ने के लिए एक पिलर होता है जिसे सेप्टल कहते है।
सेप्टल 2 प्रकार के होते है। जैसे कि आप जानते है कि हार्ट में 4 चैंबर्स होता है और 2 दाएं और 2 बाएं।आर्ट्रियम (आलिंद) और वेंट्रिकल (निलय) के बीच में एक पतली दरवाजा होता है जो ब्लड को पंपिंग करने में मदद करते है। जब आप अपना हाथ दिल के पास रखते है तो आपको कुछ धड़कने की आवाज आती है। ये आर्ट्रियम (आलिंद) और वेंट्रिकल (निलय) के बीच दरवाजे की आवाज आती है। जब ब्लड ऊपर वाले चैंबर (आलिंद) में आता है और फिर उस चैंबर के अंडर जो पतली सी दरवाजा (सेप्टल) होता है, वो खुल जाता है। फिर ब्लड आलिंद से निकल कर निलय (वेंट्रिकल) में चलाया जाता है। ब्लड जब ऊपर से नीचे आता है (आलिंद से निलय में) उस प्रकिया को आर्ट्रियम (आलिंद) सेप्टल कहते है और जब ब्लड वेंट्रिकल (निलय) में आकर ऊपर जाता है तो उस प्रकिया को वेंट्रिकल (निलय) सेप्टल कहते है।
बच्चों को दिल में छेद सेप्टल के बीच में ही होता है। जिसे वेंट्रीकुलर सेप्टल बोलते है। अगर किसी भी बच्चे को दिल की समस्या है तो वो नज़दीकी किसी कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाए ताकि सही समय पर बच्चे का इलाज हो सके।