COVID-19 के दौरान CHD के साथ बच्चों के माता-पिता के लिए 5 सुझाव
June 9, 2020 | Contributed by मोनिसा एन का
छोटे-छोटे बच्चे खुशियों का खजाना होते हैं, लेकिन वे बेहद नाजुक होते हैं और उन्हें सबसे ज़्यादा देखभाल और प्यार की आवश्यकता होती है। और यदि बच्चा कोनजेनाइटल हार्ट डिफेक्ट या जन्मजात हृदय विकार (सीएचडी) के साथ जन्म ले तो यह देखभाल और ज्यादा बढ़ जाती है। सीएचडी, हृदय में एक साधारण विकार होता है या फिर यह जटिल प्रवृत्ति का भी हो सकता है। उन्नत मेडिकल टेक्नोलॉजी के साथ जन्मजात हृदय रोगों का उपचार ज़्यादातर भारतीय महानगरों में व्यापक स्तर पर उपलब्ध है।
लेकिन कोविड-19 के अप्रत्याशित समय के दौरान, जिस तरह प्रत्येक समाज और देश चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसी तरह की हालत भारत में सीएचडी समुदाय की है। उन पेरेंट्स के लिए यहाँ 5 टिप्स दी जा रही हैं जिनके बच्चों में कोरोनावायरस के इस संकट के दौरान सीएचडी का पता चला है।
- घबराएँ नहीं
अक्सर पेरेंट्स बहुत चिंतित हो जाते हैं यदि उनके बच्चे में जन्मजात हृदय रोग का पता चलता है। लेकिन समय से मेडिकल उपचार कराने से बच्चे को लगभग सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है। रोग की जटिलता के आधार पर एक या एक से ज़्यादा सर्जरी कराने की सलाह दी जा सकती है। कई बच्चे जिनकी सीएचडी सर्जरी कराई गई, वे आज एथलेटिक्स और खेलों में भी हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कि आप डॉक्टर के परामर्श विश्लेषण और सर्जिकल उपचारों में भरोसा रखें।
- काउन्सलिंग प्राप्त करें
बच्चे में जन्मजात हृदय रोग विकसित होने में पेरेंट्स का किसी भी तरह का कोई नियंत्रण नहीं होता। भारत के कई हिस्सों में जागरुकता की कमी के कारण बच्चे की बीमार स्थिति के लिए अक्सर महिलाओं को दोष दिया जाता है। चिकित्सकीय रुप से शिशु के हृदय के विकास में शुरुआती समस्याओं के चलते सीएचडी होता है, जिसके कारणों के बारे में अभी तक पता नहीं चल सका है। यदि आप ऐसे पेरेंट हैं जिनके बच्चे को कोरोनावायरस के संकट के दौरान सीएचडी होने का पता चला है तो आइसोलेशन या सर्जरी कराने के लिए डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह पालन करें।
- सीएचडी विशेषज्ञों को रेफर करें
एक बार बच्चे को किसी भी तरह के हृदय रोग का पता चलने के बाद एक विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद महत्वपूर्ण है। सीएचडी से पीड़ित बच्चों के लिए पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट मरीज़ के साथ एंटीनेटल अवस्था (उसके जन्म से पहले), संपूर्ण बाल्यावस्था के दौरान और युवावस्था तक साथ में काम करता है। केवल तब, प्रभारी डॉक्टर द्वारा योग्य उपचार योजना को लागू किया जा सकता है और पेरेंट्स द्वारा गाइडलाइंस का पालन किया जाना चाहिए। एक बार रोग की पहचान होने के बाद पेरेंट्स को भी उनके बच्चे के हृदय की स्थिति के बारे में उनकी जागरुकता में सुधार लाने की आवश्यकता है।
जेनेसिस फाउंडेशन जन्मजात हृदय रोगों के उपचार के लिए सहायता करता है।
- डब्लूएचओ की कोविड-19 संबंधी गाइडलाइंस का पालन करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कुछ दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए, चाहे बच्चे में सीएचडी से पीड़ित होने का पता चला हो हो या नहीं। इन गाइडलाइंस में शामिल है शिशु की देखभाल करने वाली माँ द्वारा नियमित रुप से हाथ धोना, स्तनपान कराने से पहले और बाद में हाथ धोना, बच्चे के आसपास परिवार के सदस्यों द्वारा मास्क पहनना, शिशु के नज़दीक सभी सतहों को नियमित रुप से डिसइंफेक्ट करना, भीड़भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचना, केवल प्रमुख केयरटेकर या माँ को छोड़कर शिशु के साथ परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा कम से कम संपर्क इत्यादि।
जेनेसिस फाउंडेशन सीएचडी के लिए सर्जिकल सहायता मुहैया कराकर परिवारों की मदद करता है।
- प्रेरित रहें
एक बार बच्चे के सीएचडी से पीड़ित होने का पता चलने के बाद यह बेहद महत्वपूर्ण है कि माता-पिता हमेशा सकारात्मक बनें रहें और उसे ढेर सारा प्यार एवं देखभाल प्रदान करते हुए उचित उपचार का पालन करें। किसी भी अन्य बच्चे की तरह सीएचडी पीड़ित बच्चे से बात करना, खेलना और उसे छाती-गले से लगाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जन्मजात हृदय रोगों के उपचार के दौरान दिए जाने वाले राहत कार्यक्रम या घर में देखभाल उपलब्ध कराने वाली सेवाओं के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए माता-पिता विभिन्न स्रोतों जैसे डॉक्टर, हॉस्पिटल, सामाजिक कार्यकर्ता या काउन्सलर की सहायता ले सकते हैं।
अभिस्वीकृति : पेरेंट्स के लिए इन उपयोगी टिप्स को उपलब्ध कराने के लिए हम डॉ. आर विजय कुमार को धन्यवाद देना चाहते हैं।.