दिल में छेद होने के प्रबंधन के लिए जीवनशैली में बदलाव: आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन
May 9, 2025 | Contributed by Rahul Ray
गर्भावस्था के दौरान जीवनशैली किस तरह से रखना चाहिए जिससे बच्चे को दिल की छेद की समस्या को रोका जा सकता है I इस ब्लॉग में हम जानेंगे की दिल में छेद होने के प्रबंधन के लिए जीवनशैली में कैसे बदलाव लाया जा सकता है। पर पहले जान लेते है कि दिल में छेद (सुराख़) कैसे होता है?
गर्भावस्था के दौरान बच्चे को दिल में छेद होने के कुछ कारण होता है जैसे की –
- धूम्रपान और शराब का सेवन करना
- परिवार में दिल से सम्बंधित (जेनेटिक ) समस्या का होना
- बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाइयां खाना
- मधुमेह को कंट्रोल न रखना
इस प्रकार के कारण के वजह से बच्चे को दिल में सुराख़ (छेद ) हो जाता है।
दिल में छेद होने के प्रबंधन के लिए आहार:
- गर्भावस्था के दौरान संतुलित और पौष्टिक आहार लें जैसे की फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल हों।
- हृदय को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर से परामर्श करे जैसे की हृदय को स्वस्थ रखने के लिए किस प्रकार की मेडिसिन ले सकते है और किस प्रकार के खाना को खाना चाहिए।
- ज्यादा तले हुए पदार्थ और जंक फूड से बचें, क्योंकि ये हृदय के लिए हानिकारक होते है।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- अगर आप अपने जीवन शैली में बदलाव नहीं करेंगे और गर्भावस्था के दौरान कुछ बातों का ध्यान नहीं रखेंगे तो बच्चे को दिल की समस्या हो सकता है।
दिल में छेद होने के प्रबंधन के लिए व्यायाम:
- गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने से पहले एक डॉक्टर से परामर्श कर ले की कौन का व्यायाम करना सही रहेगा और कौन सा नहीं करना चाहिए।
- नियमित रूप से रोज व्यायाम करें।
- कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करने की कोशिश करे।
- अत्यधिक थकान वाले व्यायाम से बचें।
दिल में छेद होने के प्रबंधन के लिए तनाव:
- तनाव से बचने के लिए ध्यान और प्राणायाम अभ्यास करें।
- अपने शरीर को आराम दे और नींद पूरी करे।
- अपने आप को थोड़ा व्यस्त रखे और रुचियों में समय बिताएं।
- अपने परिवार और दोस्तों के साथ बातें करे और उनके साथ समय बिताए।
- हमेशा की अच्छा सोचने की कोशिश करे ताकि आपको किसी प्रकार की टेंशन न हो।
बच्चे के जन्म के बाद उसके दिल में छेद होने के लक्षण आपको कुछ इस प्रकार से दिखेगा जैसे की –
- बार बार निमोनिया होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- माँ के दूध का सेवन करते समय जल्दी जल्दी थक जाना, माथे पर पसीना आना, रुक रुक बार बार दूध पीना और लम्बी लम्बी साँसे लेना
- वजह न बढ़ना
- शरीर का रंग बढ़ना
- दिल का जोर जोर से धड़कना और आवाज आना
- बार बार सर्दी जुखाम और बुखार होना
अगर किसी बच्चे को दिल में छेद और समझ में नहीं आ रहा है की क्या करना चाहिए और क्या नहीं तो आप आप अपने नज़दीकी पेडिअट्रिशन को बच्चे को दिखाए ताकि सही समय पर बच्चे का इलाज हो सके। अधिक जानकारी के लिए आप हमें https://www.genesis-foundation.net/ संपर्क करे।